|
|
(۲۷ نسخهٔ میانی ویرایش شده توسط ۴ کاربر نشان داده نشد) |
خط ۱: |
خط ۱: |
| {{پانویس رنگی}} | | {{جعبه اطلاعات کتاب |
| {{Mbox
| | | عنوان = عقیدة العوام |
| | type = notice | | | تصویر = کتاب عقیدة العوام.jpg |
| | class = ambox-In_use | | | نام = عقیدة العوام |
| | image = [[File:Ambox clock.svg|48px|alt=|link=]]
| | | پدیدآوران = احمد المالکی مرزوقی |
| | css = margin: 1px | | | زبان = [[زبان عربی|عربی]] |
| | text = این {{#ifeq:{{{1|}}}|بخش|[[راهنما:بخجعفر طیار ش|بخش]]|{{#switch:{{NAMESPACE}}
| | | زبان اصلی = |
| | {{ns:0}} = مقاله | | | ترجمه = |
| | بحث = [[راهنما:صفحه بحث|صفحه بحث]] | | | سال نشر =بیتا |
| | ردهبندی = [[ویکیپدیا:ردهبندی|رده]] | | | ناشر = بینا |
| | راهنما = [[راهنما:فهرست|فهرست]] | | | تعداد صفحه = |
| | درگاه = [[ویکیپدیا:درگاه|درگاه]] | | | موضوع = [[کلام]] |
| | الگو = [[ویکیپدیا:فضای نام الگو|الگو]] | | | شابک = |
| | کاربر = [[ویکیپدیا:صفحههای کاربری|صفحه کاربری]] | | }} |
| | بحث کاربر = [[ویکیپدیا:صفحههای کاربری|صفحه بحث کاربری]]
| | کتاب '''عقیدة العوام''' منظومهای است در علم [[کلام]] و [[اصول دین]] که شیخ [[احمد المالکی مرزوقی]] خلاصهٔ عقاید [[اشاعره]] را که متعلق به [[اهلسنت]] است بیان نموده. |
| | ویکیپدیا = [[ویکیپدیا:فضای نام ویکیپدیا|صفحه ویکیپدیا]] | |
| | بحث ویکیپدیا = [[ویکیپدیا:فضای نام ویکیپدیا|صفحه بحث ویکیپدیا]] | |
| }}}} هماکنون برای {{#ifeq:{{{1|}}}|بخش|{{{2|مدتی کوتاه}}}|{{{1|مدتی کوتاه}}}}} '''تحت ویرایش عمده''' است. این برچسب برای جلوگیری از [[راهنما:تعارض ویرایشی|تعارض ویرایشی]] اینجا گذاشته شدهاست، لطفا تا زمانیکه این پیام نمایش داده میشود ویرایشی در این {{#ifeq:{{{1|}}}|بخش|بخش|صفحه}} انجام ندهید.<br> | |
| <small>{{#if:{{{زمان|}}}|این پیام در {{{زمان|}}} اضافه شده است.|}} این صفحه آخرینبار در {{#time:H:i، j F Y|{{REVISIONTIMESTAMP}}}} ({{کوچک}}ساعت هماهنگ جهانی{{پایان کوچک}}) ({{Time ago|{{REVISIONTIMESTAMP}}}}) تغییر یافتهاست؛ لطفا اگر در چند ساعت اخیر [{{fullurl:{{FULLPAGENAME}}|action=history}} ویرایش نشده است]، این الگو را حذف کنید. اگر شما ویرایشگری هستید که این الگو را اضافه کرده است، لطفا مطمئن شوید آن را حذف یا با در دست ساخت جایگزین میکنید.</small>
| |
| <includeonly>{{#ifeq:{{{category}}}|no||{{#switch:{{NAMESPACE}}
| |
| | کاربر
| |
| | بحث کاربر = <!-- no category -->
| |
| | [[رده:صفحههای سخت در دست ویرایش]]}}}}</includeonly>
| |
| }}<noinclude>
| |
| </noinclude>
| |
|
| |
|
| <div class="wikiInfo">[[پرونده:کتاب لوامع البینات شرح اسماء الله تعالی وصفات.jpg|جایگزین=کتاب لوامع البینات شرح اسماء الله تعالی وصفات|بندانگشتی|کتاب لوامع البینات شرح اسماء الله تعالی وصفات]]
| | == دلیل نگارش کتاب == |
| {| class="wikitable aboutAuthorTable" style="text-align:Right" |+ |نام
| | نقل علما و دانشمندان از سبب نوشتن کتاب: مرزوقی، آخر شب جمعهٔ اول ماه رجب سال 1258 هجرى قمری، [[محمد بن عبدالله (خاتم الانبیا) |
| !نام نويسنده
| | |پیامبر (صلیالله علیه وآله وسلم)]] و اصحابش را در خواب دیدند که اصحاب اطراف او ایستادهاند. و [[محمد بن عبدالله (خاتم الانبیا) |
| |فخرالدين رازی
| | |رسول الله (صلیالله علیه وآله وسلم)]] به او یعنی شیخ مرزوقی فرمود: (بخوان منظومهٔ توحید را که هر که آن را حفظ کند وارد بهشت شود و از هر خیری به مقصود کتاب و سنت دست یابد».<br> |
| |-
| | |
| |موضوع
| | === سبب نوشتن در کتاب آمده === |
| |کلام
| | نقل العلماء عن النّاظم قصة فی سبب نَظمه هذه المنظومة، وهی: أن الناظم رأى النبی ﷺ فی المنام آخر لیلة الجمعة من أول جمعة من شهر رجب سنة 1258هـ، وأصحابة رضی الله عنهم واقفون حوله. وقال له النبی ﷺ: (اقرأ منظومة التوحید التی من حفظها دخل الجنة، ونال المقصود من کل خیر وافق الکتاب والسنة، فقال له: وما تلک المنظومة یا رسول الله؟ فقال الأصحاب له: اسمع مِنْ رسول الله ما یقول، فقال رسول الله ﷺ: قل: أبدأُ باسم الله والرحمن، فقال: أبدأ باسم الله والرحمن، إلى آخرها وهو قوله: |
| |-
| |
| |زبان کتاب
| |
| |عربى
| |
| |-
| |
| |}
| |
| </div>
| |
| عقيدة العوام
| |
|
| |
|
| | وصحف الخلیل والکلیمِ ..................... فیها کلام الحکم العلیمِ |
| | |
| | == شروح کتاب == |
|
| |
|
| إِنْ رُمْتَ عَقْدَ الْأَشْعَرِيِّ الْـمُرْتَضَى
| | # اولین شرح را خودش نوشته که به نام (تحصیل نیل المرام لبیان منظومة عقیدة العوام) میباشد. |
| فَعَلَيْكَ نَظْمَ عَقِيدَةِ المرْزُوقِي
| | # الشیخ عبدالله أحمد أبوالخیر مرداد الحنفی (فیض الملک العلام). |
| فَهْيَ الَّتِي فِيهَا النَّجَاةُ وَمَتْنُهَا نُورٌ بَدَا مِنْ شَمْسِهِ بِشُـرُوقِ
| | # شیخ محمد نووی الجاوی الشافعی (نور الظلام شرح منظومة عقیدة العوام). |
| | # شیخ أحمد القطعانی العیساوی (تسهیل المرام لدارس عقیدة العوام). |
| | # علامة أسد حمزة عبدالقادر الأوسی الحسنی الحنفی الماتریدی (نیل المرام شرح عقیدة العوام). |
| | # شیخ المحدث محمد علوی المالکی (جلاء الأفهام شرح عقیدة العوام). |
| | # شیخ محمد بن علی باعطیة (موجز الکلام شرح عقیدة العوام). |
| | # شیخ الدکتور مراد عبدالله الجنابی (سعادة الأنام بشرح عقیدة العوام). |
| | # شیخ شهابالدین أحمد بن أحمد الزویّ (فیض السلام على عقیدة العوام). |
|
| |
|
| منظومة عقيدة العوام[عدل]
| | == منابع == |
| أبــدأُ باسمِ اللهِ والـرحـمنِ
| |
| وبـالـرحـيـمِ دائـمِ الإحـسانِ
| |
|
| |
|
| فالـحـمـدُ للهِ الـقديمِ الأولِ
| | *ر. ک: مقدمه و فهرست کتاب. |
| الآخـرِ الـبـاقـيْ بلا تَـحَـوُّلِ
| |
|
| |
|
| ثـُمَّ الـصلاةُ والسلامُ سَرْمَدا عـلـى الـنبيِّ خيرِ مَنْ قَدْ وَحَّدَا
| |
| وَآلِهِ وصـحبِهِ وَمَـــنْ تَبِعْ
| |
| سـبـيـلَ دينِ الحَقِّ غيرَ مبتدعْ
| |
| وبعدُ فاعلمْ بوجوبِ المعرفةْ مِنْ واجبٍ للهِ عشرينَ صفةْ
| |
| فـاللهُ مـوجـودٌ قـديـمٌ باقيْ
| |
| مخـالـفٌ للـخـلقِ بالإطلاقِ
| |
| وقـائمٌ غـنـيٌّ واحـدٌ وَحَيْ
| |
| قـادرْ مُـرِيْـدٌ عـالمٌ بِكُلِّ شَيْ
| |
|
| |
|
| سـمـيـعٌ البـصـيرْ والمتكلـمُ
| | [[رده:کتابها]] |
| لَـهُ صـفـاتٌ سـبـعـةٌ تنتظمُ
| | [[رده:کتابهای کلامی]] |
| فـقـدرةٌ إرادةٌ سَـمْـعٌ بَـصَرْ حـيـاةٌ الـعـلـمُ كـلامٌ اسْتَمَرْ
| |
| وجـائـزٌ بـفـضـلِهِ وعدلِهِ تـركٌ لـكـلِّ مـمـكـنٍ كَفِعْلِهِ
| |
| أرسـلَ أنبيا ذويْ فَـطـانـةْ
| |
| بالـصـدقِ والـتـبليغِ والأمانةْ
| |
| وجـائـزٌ في حقهمْ من عرضِ بغـيـرِ نـقـصٍ كخفيفِ المرضِ
| |
| عِـصْـمَـتُهُمْ كسائرِ الملائكةْ
| |
| واجـبـةٌ وفـاضلوا الـمـلائكةْ
| |
| والمستحيلُ ضِدُّ كُلِّ واجبِ فاحفظْ لخمسينَ بحكمٍ واجبِ
| |
| تفصيلُ خمسةٍ وعشرينَ لَزِمْ كُلَّ مُكَلَّفٍ فَحَقِّقْ واغتنِمْ
| |
| هُمْ آدَمٌ إدريسُ نوحٌ هودٌ معْ
| |
| صـالـحْ وإبـراهـيـمُ كُلٌّ مُتَّبَعْ
| |
| | |
| لوطٌ وإسـماعيلُ إسحاقٌ كذا
| |
| يـعـقوبُ يوسفُ وأيوبُ احتذى
| |
| | |
| شعيبُ هارونُ وموسى وَاليَسَعْ
| |
| ذو الـكـفـلِ داودُ سليمانُ اتَّبَعْ
| |
| | |
| إلـيـاسْ يونسْ زكريَّا يحيى
| |
| عـيـسـى وَطَـهَ خَاتِمٌ دَعْ غَيّا
| |
| | |
| عـلـيـهـمُ الصلاةُ والسلامُ وَآلِـهِـمْ مـا دامـــتْ الأيــامُ
| |
| وَالـمَـلَكُ الـذي بـلا أبٍ وأمْ لا أَكْـلَ لا شُـرْبَ ولا نومَ لَهُمْ
| |
| تـفـصـيلُ عشرٍ منهمُ جبريلُ
| |
| مِـيْـكَـالُ إسـرافيلُ عَزرائيلُ
| |
| | |
| مُـنْـكَرْ نَـكِـيْرٌ ورقيبٌ وكذا
| |
| عـتـيـدُ مالكٌ ورضوانُ احتذى
| |
| | |
| أربـعـةٌ مِـنْ كُتُبٍ تفصيلُها
| |
| تـوراةُ مـوسـى بالهدى تنزيلُها
| |
| | |
| زبـورُ داودَ وإنـجـيـلُ على
| |
| عـيـسى وفرقانٌ على خيرِ الملا
| |
| | |
| وصـحـفُ الـخـليلِ والكليمِ
| |
| فـيـهـا كـلامُ الـحَـكَمِ العليمِ
| |
| | |
| وَكُـلُّ مـا أتى بـه الـرسولُ فـحـقُّـه الـتـسـلـيمُ والقَبولُ
| |
| إيـمـانُـنا بـيـومٍ آخِرٍ وَجَبْ
| |
| وَكُـلُّ مـا كـان بـه من العَجَبْ
| |
| خاتمةٌ في ذِكْرِ باقي الواجبِ مما على مكلفٍ مِنْ واجبِ
| |
| نـبـيُّـنـا مـحمدٌ قـدْ أُرسلا
| |
| للـعـالَـمـيـن رحـمةً وَفُضِّلَا
| |
| أبـوهُ عـبـدُ اللهِ عـبدُ المطلـبْ
| |
| وهـاشـمٌ عبـدُ مـنافٍ يَنْتَسِبْ
| |
| | |
| وَأُمُّـهُ آمـنـةُ الـزُّهْـرِيَّــةْ
| |
| أَرْضَـعَتْهُ حـليـمـةُ السعديةْ
| |
| | |
| مـولـدُهُ بـمـكـةَ الأميـنـةْ
| |
| وفـاتُـهُ بـطَـيـبةَ الـمـدينةْ
| |
| | |
| أَتَـمَّ قـبـلَ الـوحيِ أربـعينا وعـمـرُهُ قَـدْ جـاوزَ الـستينا
| |
| وسـبـعةٌ أولادُه فـمـنـهـمُ ثـلاثـةٌ مِـنَ الـذكـورِ تُـفْهَمُ
| |
| قـاسـمْ وعـبدُ اللهِ وهو الطيبُ وطـاهـرٌ بـذيـنِ ذا يُـلَـقَّبُ
| |
| أَتَـاهُ إبـراهـيـمُ من سَـرِيَّةْ
| |
| فَأُمُّهُ مَـارِيَّـةُ الـقِـبْـطِـيَّـةْ
| |
| | |
| وغـيـرُ إبـراهيمَ مِنْ خديجةْ
| |
| هـم سـتـةٌ فـخـذْ بـهمْ وَلِيْجَةْ
| |
| وأربعٌ مِـنَ الإنـاثِ تُـذْكَـرُ رضـوانُ ربـي للـجـمـيعِ يُذْكَرُ
| |
| فـاطـمـةُ الزهراءُ بعلُها عليْ
| |
| وابـنـاهما السِّبْطَانِ فضلُهم جَلِيْ
| |
| فـزيـنـبٌ وبـعـدَهـا رُقَـيَّـةْ
| |
| وَأُمُّ كُـلـثـومٍ زَكَـتْ رَضِيَّةْ
| |
| | |
| عَـنْ تِـسْـعِ نسوةٍ وفاةُ المصطفى خُـيِّـرْنَ فاخترنَ النبيَّ المُقْتَفَى
| |
| عـائـشـةٌ وحـفـصةٌ وسـودةْ
| |
| صـفـيـةٌ مـيـمـونةٌ ورملةْ
| |
| | |
| هـنـدٌ وزيـنـبٌ كـذا جُوَيْرِيَّةْ
| |
| لـلـمـؤمنينَ أمـهاتٌ مَرْضِيَّةْ
| |
| حـمـزةُ عَـمُّـهُ وعـبـاسٌ كذا
| |
| عـمـتـهُ صَـفِيَّةٌ ذَاتُ احْتِذَا
| |
| وقـبـلَ هـجـرةِ الـنبيِّ الإسرا
| |
| مـن مـكـةٍ ليلاً لقدسٍ يُدْرَى
| |
| | |
| وبـعـدَ إسـراءٍ عـروجٌ للـسما
| |
| حـتى رأى الـنـبـيُّ رَبّاً كَلَّمَا
| |
| مِنْ غَيْرِ كيفٍ وانحصارٍ وافترضْ عـلـيهِ خمساً بعدَ خمسينَ فَرَضْ
| |
| وَبَــلَّـغَ الأمــةَ بـالإسـراءِ وَفَـرْضِ خـمـسةٍ بلا امتراءِ
| |
| قَـدْ فَـازَ صِـدِّيْقٌ بتـصديقٍ لَهُ
| |
| وبـالـعُروجِ الصدقُ وافى أَهْلَهُ
| |
| وهــذهِ عـقـيـدةٌ مـخـتصرةْ
| |
| ولـلـعـوامِ سـهـلةٌ مُيَسَّرَةْ
| |
| نـاظـمُ تـلـكَ أحـمدُ المرزوقيْ
| |
| مـن ينتمي للصادقِ المَصْدُوْقِ
| |
| | |
| والـحـمـدُ للهِ وَصَـلَّـى سَـلَّمَا
| |
| علـى النبيِّ خيرِ مَنْ قَدْ عَلَّمَا
| |
| وَالآلِ والـصـحـبِ وَكُـلِّ مُرْشِدِ وَكُـلِّ مَـنْ بخيرِ هديٍ يقتدي
| |
| وأسـألُ الـكـريمَ إخـلاصَ العملْ
| |
| ونـفـعَ كُلِّ مَنْ بِهَا قَدِ اشْتَغَلْ
| |
| أبـيـاتُـهـا مَـيْـزٌ بِعَدِّ الجُمَّلِ تـاريـخُـهـا لِـيْ حَـيُّ غُرٍّ جُمَّلِ
| |
| سَـمَّـيْـتُـهَـا عقيدةَ الـعَـوَامِ مِـنْ واجبٍ في الدينِ بالتمامِ
| |
| | |
| | |
| | |
| | |
| | |
| | |
| آموزه عوام ، منظومهای است در علم دین و خاستگاه دین شیخ احمد المالکی نهنگ مرزوقی خلاصه عقاید اشعری متعلق به اهل سنت و گروه . [1] [2]
| |
| | |
| دلیل ایجاد سیستم
| |
| نقل و انتقال دانشمندان حاكم بر داستان عقل سازماندهي نظام، يعنى اينكه حاكم، شب جمعه گذشته، جمعه اول ماه رجب سال 1258 هجرى قمري ، پيامبر اكرم صلى الله عليه و آله و اصحابش را در خواب ديدند. از ایستادن آنها در اطراف او راضی است. و پیامبر صلی الله علیه و آله به او فرمود : (بخوان نظام توحید را که هر که آن را حفظ کند وارد بهشت شود و از هر خیری به مقصود کتاب و سنت دست یابد.» به او فرمود: ؟ این سیستم، ای رسول خدا چه اصحاب به او گفت: بشنو از رسول خدا آنچه او می گوید رسول خدا، که درود خدا بر او، گفت: : بگو: من با نام خدا و بیشتر آغاز بخشنده گفت: با بسم الله الرحمن الرحیم شروع می کنم تا آخر آن که قول اوست:
| |
| | |
| و روزنامه های الخلیل و الکلیم شامل سخنان خدای دانا است
| |
| | |
| و رسول خدا صلی الله علیه و آله آن را می شنود و چون از خواب بیدار می شود آنچه را در خواب می دید می خواند و آن را از اول تا آخر نزد خود محفوظ می یافت. و چون شب جمعه بیست و هشتم ذی ذی اللّه بود، بار دیگر در خواب، زمان سحر بر پیامبر صلی الله علیه و آله حکومت شد ، پیامبر صلی الله علیه و آله به او فرمود : (آنچه را جمع آوری کرده است بخوان) - یعنی در دلت - و او خواند. از ابتدا تا انتها در میان دستانش و یارانش رضی الله عنه که در اطراف او ایستاده اند، پس از هر آیه نظام آمین می گویند، هنگامی که قرائتش تمام شد ، پیامبر صلی الله علیه و آله به او فرمود : خداوند متعال تو را به آنچه خشنود است هدایت کند و آن را از تو بپذیرد و بر تو و مؤمنان برکت دهد و بندگان را بدان سود بخشد، آمین. سپس پس از اطلاع مردم از آن سامانه از رگولاتوری پرسیده شد و وی به پرسش آنان پاسخ داد و تعدادی از سخنان خود را به آن افزود:
| |
| | |
| و تمام آنچه پیامبر آورده است پذیرفته شدن و قبول شدن حق اوست
| |
| | |
| تا آخرین کتاب [1] [3]
| |
| پروفسور محمد احیا علوم الدین (مدیر مؤسسه نورالحرمین اندونزی ) از شاگردان شیخ محمد علوی مالکی گفت: این چیزی است که نویسنده در مورد خود گفته است و ما آن را با متن و امانت او منتقل کردیم. بر راوی است.» [4]
| |
| توضیحات سیستم
| |
| این سیستم توسط تعدادی از علما توضیح داده شده است: [5]
| |
| 1. و اولین توضیح دهنده آن، خود شیخ احمد المرزوقی در کتابی به نام (مجموعه نیل المرام لل توضیح منظومه عقیده العوام) بود.
| |
| 2. و شيخ عبدالله احمد ابوالخير ميرداد حنفيه در حاشيه خود بر شرح سيد احمد مرزوقي بر منظومه خود بيان كرده و آن را (فيض الممالك العالم) ناميده است.
| |
| 3. و شیخ یوسف بن عبدالرحمن سنبلاوینی الشرقاوی مکی شافعی در پاورقی برای او در شرح الناظم توضیح داده است .
| |
| 4. و شیخ محمد نووی الجاوی شافعی آن را در کتابی به نام (نور الظلمات، شرح منظومه عقیده العوام) شرح داده است.
| |
| 5. و شیخ احمد القطانی العیساوی آن را در کتابی به نام «تشیل المرام للمطالعة عقاید العوام» توضیح داده است .
| |
| 6. و آن را محقق القاضی اسد حمزه عبدالقادر العوسی الحسنی حنفی المطریدی در کتابی به نام (نیل المرام شرح عقیده العوام) بیان کرده است.
| |
| 7. و توسط محدث شیخ محمد علوی مالکی در کتاب «جلاء الافهام شرح عقیده العوام» تألیف شاگردش استاد محمد احیاء علوم الدین (مدیر نورالحرمین) توضیح داده شده است. موسسه در اندونزی ).
| |
| 8. و شیخ محمد بن علی بعطیه آن را در کتابی به نام (شرح مختصر کلام عقیده العوام) شرح داده است .
| |
| 9. و شیخ دکتر مراد عبدالله الجنابی در کتابی به نام (سعادت الناس با شرح عقیده العوام) توضیح داده است .
| |
| 10. و آن را استاد شهاب الدین احمد بن احمد الزاوی متوفی سال 1418 هجری قمری در کتابی به نام (فیض السلام علی العقیده العوام) شرح داده است. نگارنده آن را نوشته است تا درسی آسان برای طلاب زوایای دینی باشد و به حفظ و درک این نظام کمک کند که بر اساس اعتقادات اشعری اهل سنت و جامعه تنظیم شده است، علاوه بر این که حاوی احادیثی در مورد زندگینامه پیامبر (ص) ، درود بر باشد او ، و آنچه که باید از خود امور، پسران، همسران، ماموریت و مسائل مرتبط شناخته شده است. و آنچه مؤلف در این باره گفته است:
| |
| [[رده: کتاب شناسی]]
| |
| [[رده: آثار اسلامی]] | |
| [[رده: کتاب کلامی]] | |